दिल तू भी क्या चीज़ है,
दुख मे ढुखी,खुशी मे खुश,
खुद को कितना संभालता है ये दिल।
जब रूठता है,तब इसान भी टूट जाता है,
किसी और के लिए हमेशा आगे है ये दिल,
फिर खुद को क्यो नहीं समझ पाता ये दिल।
मासूम सा होता है तू
फिर क्यों रोता है।
खुद हार जाए,पर दूसरों का ना हारने दे,
कितना सहता है ये दिल।
तू सबका दिल जीत लेता है,
पर खुद को नहीं सहला पाता।
खुद को खोता है दिल,
तू क्यों रोता है दिल।
Written By: Pritika N Sood
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